स्वास्थ

आखिर क्यों चलता फिरता व्यक्ति अचानक हार्ट अटैक से मौत के मुँह में पहुंच जाता है

बीएचयू के सीनियर डॉक्टर और बीएचयू अस्पताल के कार्डियोलॉजी के हेड बता रहे है

वाराणसी। बीएचयू के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ ओमशंकर बताते है की पहले दिल के बीमारी को व्यक्ति की अमीरी से जोड़कर देखा जाता था, शायद इसलिए क्योंकि ऐसे लोग आरामपसंद होने के साथ-साथ जिस तरह के खान-पान और रहन-सहन की दिनचर्या का पालन किया करते थे वो स्वस्थ हृदय के लिए हानिकारक था।लेकिन वक़्त बदलने के साथ-साथ हमारे देश के सर्व-समाज के लोगों ने पश्चात जीवन-शैली को अपनाकर हृदय घातक को अपना मित्र बना लिया है। हमारे जीवन में मशीनों की दखल-अंदाजी रोज बढ़ती जा रही है और हम शारिरिक श्रम करने के बदले मशीनों के गुलाम बनते जा रहे हैं।हमारी जीवनशैली बदलने के साथ-साथ हमारे देश में फैली गरीबी, अशिक्षा और हमारी स्वास्थ के प्रति संवेदनहीनता ने भी हमें केंसर और हृदय जैसी बीमारियाँ उपहार में झोली भरकर देना शुरू कर दिया है। कभी बिरले भारतीयों को होनेवाली बीमारियाँ आज घर-घर में फैल गयी हैं और ये आम भारतीयों के मौत की सबसे बड़ी वजह बन गयी है।इन सबके साथ-साथ गलाकाट प्रतियोगिता की वजह से जीवन में बढ़ता तनाव, मिलावटी खान-पान की भोजन में प्रचुरता, फ्राइड फ़ूड, प्रोसेस्ड फ़ूड और फ़ास्ट फ़ूड के प्रति बढ़ता लगाव, शारिरिक श्रम/व्यायाम से दूर भागना, वायु प्रदूषण, युवाओं में बढ़ते “पीयर प्रेसर” की वजह से बढ़ता शराब, सिगरेट और तंबाकू सेवन का क्रेज तथा सरकार की इस संबंध में उदासीनता, आग में घी डालने का कार्य कर रहा है।  

बीएचयू के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ ओमशंकर
आलम यह है कि अमीरों, ज्यादातर पुरुषों और बुजुर्गों की ये बीमारियाँ अब गरीबों, महिलाओं और युवाओं के मौत की सबसे महत्वपूर्ण वजह बनती जा रही है। हम अक्सर हीं अब यह सुनने लगे हैं कि फलां युवा हीरो-हीरोइन, पत्रकार, व्यापारी, छत्र और पड़ोसी तो कलतक बड़ा हीं ठीक था, रोज जिम भी जाया करता था, आज अचानक उनकी हृदयाघात से मृत्यु हो गई।अबतक चिकित्सकों-वैज्ञानिकों में यह अवधारणा थी कि महिलाओं को जबतक रजस्वला (पीरियड) होता है तबतक वो हृदय के गभीर बीमारियों से बची रहती हैं।.. लेकिन अब ये अवधारणा भी टूटती नजर आ रही है।

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