संस्कृति

लाइलाज नहीं है गठिया , वायु प्रदूषण और धूम्रपान से होता है गठिया

गठिया और कमर दर्द लगभग 15-20% आबादी में है जागरूकता है जरूरी

वाराणसी। विश्व गठिया ( आर्थराइटिस) दिवस हर वर्ष १२ अक्टूबर को मनाया जाता है| इसके उपलक्ष्य में रुमेटोलॉजिस्ट डा ईशान मिश्रा द्वारा निशुल्क बोन मिनरल डेंसिटी (बीएमडी) और ब्लड सुगर कैंप सूर्या सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में किया गया | डा ईशान मिश्रा ने बताया कि हालांकि रुमेटोलॉजिकल रोग जैसे गठिया और कमर दर्द लगभग 15-20% आबादी में है पर इन रोगों की जागरूकता लोगों में बहुत कम है और तरह तरह कि भ्रांतियां भी हैं|ऐसा नहीं है| ब्लड प्रेशर, डायबीटिज, थायरॉयड की बीमारियों की तरह गठिया भी दवाइयों पे कंट्रोल हो जाता है और मरीज स्वस्थ जीवन जी सकते हैं|

गठिया में तत्काल इलाज की आवश्यकता नहीं है

गठिया में जल्दी उपचार शुरू करने से जोड़ों में विकार आने की संभावना कम होती है और आगे जा कर ज्वाइंट रिप्लेसमेंट से बचा जा सकता है| आर्थराइटिस अगर कंट्रोल में ना हो तो यह और जगह जैसे फेफड़े, गुर्दे ,आंख और बोन मैरो पे भी असर डाल सकती है।

खान पान का गठिया पे असर 

कई लोगों में यह भ्रांति है कि खट्टा खाने, ज्यादा प्रोटीन जैसे दाल और दही खाने से समस्या बढ़ जाती है जो की सही नहीं है। दो चीज़ें ऐसी है जो आप अपनी जीवन शैली में बदल सकते हैं वो है तंबाकू की किसी भी प्रकार में सेवन ना करना और मोटापे को कंट्रोल में रखना। इन दोनों ही वजहों से अर्थराइटिस बढ़ जाती है।

आर्थराइटिस सिर्फ बुढ़ापे में होता है।  

आर्थराइटिस १०० से भी ज्यादा प्रकार की होती है । इनमे से कई रोग जैसे रूमेटॉयड आर्थराइटिस, एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस, SLE इत्यादि बीमारियां कम उम्र में ही शुरू हो जाती हैं।

अर्थराइटिस की अंग्रेज़ी दवाओं से गुर्दे और लिवर पे असर पड़ता है

अर्थराइटिस की दवाइयां काफी सुरक्षित हैं। उनको अगर डॉक्टर के परामर्श और रेगुलर फॉलो अप में लेने से ऐसी कोई समस्या नहीं आती है। बिना परामर्श के महीनों कोई भी दवा लेने से वो नुकसान कर सकती है।हम सब को स्वस्थ्य जोड़ों में निवेश करना चाहिए | मोटापे को कंट्रोल में रखें, धूम्रपान और तंबाकू का सेवन बिलकुल भी ना करें। जोड़ों में 6 हफ्ते से ज्यादा दर्द हो तो आर्थराइटिस स्पेशलिस्ट (रुमेटोलॉजिस्ट) से संपर्क करें।

 

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