कटिंग का मोबाइल क्या होता है और कैसे नया मोबाइल भी असली बिल के बिना बिकता है और ग्राहक रहते है अंजान जानिए पूरा खेल
लाखो करोड़ो का मोबाइल बेच देते बिना असली बिल के दुकानदार और सरकार और ग्राहक को पता भी नहीं चलता !
बाजार में नए फोन आने के साथ ही इसे खरीदने की होड़ मच जाती है खास तौर बड़े ब्रैंड और फ्लेगशिप फोन की बात की जाए तो और बाजार के इस क्रेज को बड़ी ही आसानी से बड़े कंपनी के डिस्टीब्यूटर और रिटेलर मिलकर जनता को एक तरह से कहे तो लूट लेते है और इनका नेटवर्क और आपस में मिली भगत कुछ इस तरह से होती है की सरकार के साथ जनता को भी ये धोखा दे जाते है और जनता की गाढ़ी कमाई उनके क्रेज की भेट चढ़ जाती है दरअसल ये क्रेज भी इनके द्वारा ही पैदा किया जाता है ये सब कैसे होता है हम आपको आगे विस्तार से समझाते है।
क्या है कटिंग का मोबाइल और इससे कैसे लाखो तक कमा लेते है मोबाइल बेचने वाले दुकानदार
आपने शायद कभी कटिंग के मोबाइल का नाम सुना होगा आखिर है क्या ये कटिंग यानी सीधे शब्दों में कहें तो ग्रे मार्केट का माल का जिक्र सुना ही होगा ये कैसे काम करता है अगर उधारण के तौर पर जाने पर तो इस समय आईफोन 14 सीरीज आने के बाद इसकी सबसे ज्यादा डिमांड कीमत आसमान छू रही है लोगो को रिटेल प्राइज से अधिक देने पर भी नहीं मिल रहा है जिसकी क्रेज को लेकर इस समय मोबाइल प्रेमी पागल से है दरअसल आईफोन के इस क्रेज को डिस्टीब्यूटर और रिटेलर मिल कर ही पैदा करते है क्योंकि जब कोई फोन लॉन्च होता है तो देश और प्रदेश की राजधानी के अलावा बाकी शहरों में जिस तरह की बनारस, गोरखपुर ,कानपुर,आगरा,या फिर और भी राज्य के जो भी इस तरह के शहर है वहा डिस्टीब्यूटर दुकानदारों पांच या छः पीस सेट ही बेचने के लिए देते है पर डिमांड इसकी दस गुना से भी ज्यादा रहती है ऐसे में दुकनादार के पास ये सुनहरा मौका होता है वो पैसे कमाने का इसके बाद दुकानदार उस जोन के डिस्टीब्यूटर को छोड़ छोटे शहरों के डिस्टीब्यूटर को संपर्क करता जिसमे मान लीजिए गाजीपुर , जौनपुर , बलिया ,मोहनिया जैसे डिस्टीब्यूटर है जहां आईफोन के हाई रेंज का मोबाइल उतना नहीं बिक पाता वहा का डिस्टीब्यूटर रिटेलर को केस में मोबाइल दे देता है और जिसका जिएस्टी बिल रिटेलर को नहीं दिया जाता और आईफोन के उन मोबाइल को लाकर इन बड़े शहरों में रिटेलर क्रेज के नाम पर रिटेल से कही अधिक मूल्य पर बेचता है और इसका पता ग्राहकों को इस लिए नहीं चल पाता क्योंकि आईफोन की वारंटी ऑनलाइन होती है इसलिए ग्राहक जैसे ही सिम नए मोबाइल में लगाता है उसे वारंटी भी मिलने लगती और दुकानदार नाम के लिए एक बिल ग्राहक को पकड़ा देता और इस तरह क्रेज का फायदा उठाकर रिटेलर से लेकर डिस्टीब्यूटर तक लाखो से लेकर करोड़ों तक कमा लेते है और जनता और सरकार को चुना लगाते है।
डिस्टीब्यूटर और रिटेलर मिलकर ऑफर का फायदा कैसे उठाते है और कटिंग का माल बेचने वाले दलाल कैसे सक्रिय रहते है।
मोबाइल बेचने के इस खेल में बिचौलिए भी खूब कमाई करते है इनमें बिचौलियों का काम वो करता है जो दिल्ली जैसे जगह से कटिंग का मोबाइल लेकर आता है उसकी कमाई का जरिया हम आपको बताते है मान लीजिए एक आईफोन की कीमत एक लाख रुपए है उसे बिचौलिया डिस्टीब्यूटर से बिना बिल के 95 हजार में ले लेता है और वो एक मोबाइल तो लेता नही जिसकी संख्या कई रहती है और फिर वो बनारस में रिटेलर को या अपने ग्राहक को 97 हजार में भी अगर बेच देता है तो उसे अच्छी खासी कमाई बैठे – बैठे हो जाती है।इसके बाद अगर डिस्टीब्यूटर और रिटेलर पर नजर डाले तो तो मोबाइल फोन बेचने के लिए कंपनिया पांच से सात प्रतिशत का ऑफर भी डिस्टीबियूटर के द्वारा रिटेलर को दिया जाता है जिसके बारे में आम ग्राहक अनजान ही रहता है इसके अलावा डिस्टीब्यूटर भी रिटेलर को भी अपना पुराना मॉडल बेचने के लिए कई तरकीब लगाता है मान लीजिए रिटेलर को नया मॉडल चाहिए तो डिस्टीबियटर कहता है नया मॉडल का चार पास तो देंगे साथ में पुराना मॉडल का भी दो पास लेना होगा और रिटेलर को लेना पड़ता है।कई बार कंपनिया अच्छी सेल करने के लिए रिटेलर और डिस्टीब्यूटर को कई बड़े गिफ्ट और परिवार सहित विदेश दौरे पर घूमने के लिए भी भेजते है पर जो जनता खरीदती है उन्हे कुछ भी नहीं मिलता है।
दिल्ली मुंबई जैसे बड़े शहरों से कटिंग का माल सबसे ज्यादा आता है
दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहर जहा का डिस्टीब्यूटर करोड़ो में माल खरीदता है मान लीजिए दिल्ली का डिस्टीब्यूटर 25करोड़ का आईफोन का नया मॉडल का लॉट लेकर आता है जाहिर सी बात है उसे बहुत सारी छूट भी कंपनी से मिलती है और छोटे शहरों के रिटेलर के पास उस मॉडल की खास डिमांड रहती है वो रिटेलर बिना बिल के भी ज्यादा पैसे देकर माल लेकर आता है और उसे डिमांड के आधार पर ग्राहकों को ब्लैक करता है चुकी वारंटी ऑनलाइन है इसलिए ग्राहक को इससे जायदा फर्क नहीं पड़ता की बिल में जीएसटी नंबर है या नही या फिर बिल कैसा है वो तो नए मोबाइल के नशे में ही रहता है।
बिल में कैसे होता है गोलमाल
डिस्टीब्यूटर को जो बिना बिल के माल बेच देता है वो किसी और में सेल करके या सीए के जरिए बिल को मैनेज करता है और रिटेलर अपने कंप्यूटर में बिल कटने का भी दो सोफवेयर रखता है जिसमे एक से असली और एक से नकली बिल निकालता है और फिर सीए से मिलकर रास्ता निकलता है कर चोरी का और फर्जी बिल निकाला जाता है ताकि इनकम टैक्स और जीएसटी से बचा जा सके इस तरह चलता है फलीगशिप फोन के बेचने का ये खेल।