धर्म

काशी की एक और धार्मिक यात्रा नंगे पांव इस ठंड में होती है जानिए इसके बारे में

महिला और पुरुष श्रद्धालु बड़े मनोयोग भाव पूर्वक काशी की परिक्रमा कर शुरू की अंतरगृही यात्रा

वाराणसी ।काशी की पहचान वहां के धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन से ही है।अगहन मास के ठंड के बीच हर हर महादेव शंभु काशी विश्वनाथ गंगे के जयघोष के साथ सर पर समान लिए नंगे पांव महिला और पुरुष श्रद्धालु बड़े मनोयोग भाव पूर्वक काशी की परिक्रमा पर निकले हैं। इन्हीं की वजह से आज काशी की पहचान है। इन्हीं लोगों के धार्मिक परंपराओं के निर्वहन करने से आज काशी की पहचान बची हुई है। काशी की पुरानी परंपरा के अनुसार अगहन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को काशी के अंदर अंदर परिक्रमा यात्रा निकलती है जिसने अंतरगृही यात्रा कहते हैं।

अन्तरगृही यात्रा करते श्रद्धालु

अंतरगृही यात्रा में काशी के ग्रामीण क्षेत्रों की महिला पुरुष नंगे पांव काशी के काशी का अंदर अंदर परिक्रमा करते हैं।पंचांग के अनुसार आज ही पूर्णिमा लग जाने के कारण यह यात्रा आज ही शुरू हो गया।अंतरगृही यात्रा मणिकर्णिका घाट से संकल्प लेकर शुरू होता है। मणिकर्णिका घाट से नाथद्वारा नाव द्वारा अस्सी घाट,अस्सी घाट से पैदल जगन्नाथ मंदिर,रामानुज कोट, संकटमोचन, साकेत नगर कॉलोनी, खोजवां, लहरतारा, मडुवाडीह, कैंटोनमेंट होते हुए वरुणा पुल होते हुए यात्रा मणिकर्णिका घाट पर संकल्प छुड़ाकर यात्रा का समापन होता है।शनिवार भोर मे 4 बजे से ही यात्रा शुरू हो गया।यात्रा में शामिल ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं पुरुष नंगे पांव हर हर महादेव शंभू काशी विश्वनाथ गंगे का जयघोष करते हुए चल रहे थे भीषण ठंड में भी उनका यह उत्साह देखने लायक बन रहा।

  • अंतरगृही यात्रा के दौरान पूजा करते अस्सी घाट पर श्रद्धालू

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