संस्कृति

काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए अर्चक और पुजारियों के लिए आवेदन हो रहे है शुरू 90 से 45 हजार होगी तनख्वाह

इतने नंबर के होंगे पेपर और ऐसी होगी नियुक्ति

वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर में जहा एक तरफ लाखो की संख्या में दर्शनार्थी आ रहे है तो दूसरी तरफ अब मंदिर में पुजारी और अर्चक की तनख्वाह बढकर 90 हजार तक कर दी गयी है तो वोही अब काशी विश्वनाथ मंदिर में अर्चक और कनिष्ठ अर्चक और पुजारी के लिए नयी नियुक्ति के दरवाजे खोल दिए गए है जानिए इस रिपोर्ट के जरिये कैसे काशी विश्वनाथ मंदिर में पुजारी के लिए आवेदन कर सकते है युवा और क्या है इसके नियम कानून ………काशी विश्वनथ मंदिर में पुजारी और अर्चक के नियुक्ति के लिए पहली सेवा नियमावली का रूप दे दिया गया है जो वर्तमान में मंदिर में अर्चक काम कर रहे है उनकी नियुक्ति स्थाई होंगी और बाक़ी की नियुक्ति की जायेगी तीन अलग अलग इसमें अर्चक है पहली नियुक्ति सहायक अर्चक या कनिष्ठ अर्चक के रूप में होगी और जो प्रमोशन से लिए जायेंगे वो सीधे कनिष्ठ और वरिष्ठ अर्चक के रूप में लिए जायेंगे दस – दस वर्ष की सेवा में इनका पदोन्नति होगी अच्छी सैलरी होगी ताकि सभी लोग आत्मसम्मान से काम कर सके बाकी सुविधा होगी प्रति वर्ष चार प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी …..

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वाराणसी के मंडलायुक्त ने बताया की अर्चक और पुजारी के नियुक्ति के लिए ये योगिया होनी चाहिए और इतने नंबर के पेपर होंगे
* नए अर्चक होंगे उनकी योग्यता संस्कृत से ग्रेजुएट की होगी
* 10 नंबर उनके विभिन्न प्रकार के परीक्षा के नम्बर के आधार पर
* लिखित परीक्षा मल्टी पल चॉइस के अन्य प्रकार की लिखित परीक्षा होगी ये 50 नंबर का पेपर होगा
* इसके अलावा तीस नम्बर का मौखिक परीक्षा होगी जिसमे उच्चारण एवम अन्य चीजों को इसमें देखा जायेगा
* और 10 नंबर का साक्षात्तकार होगा जिसमे उनकी वक्तित्व और हाव हाव को उसकी अभिवक्तिकरण को परखा जाएगा
अच्छे विद्वानों से इनका पेपर बनाया जायेगा और इसकी एक पूरी इंटरव्यू बोर्ड की नियुक्ति कर इनका चयन किया जाएगा। इसके साथ ही उनका बीमा पोशाक सहित सभी सुविधाएं मिलेगी।मंदिर के मुख्‍य पुजारी को अब हर महीने 90 हजार रुपये सैलरी मिलेगी। इसके अलावा कनिष्‍ठ पुजारी को 80 हजार और सहायक पुजारी को 65 रुपये का वेतन दिया जाएगा। मंदिर न्‍यास ने पुजारी, कर्मचारी और सेवादारों की नियुक्ति की नई नियमावली तैयार कर ली है। 40 साल बाद बनी यह सेवा नियमावली देश भर के मंदिरों और ट्रस्‍ट के लिए नजीर है।जिससे काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य और पुजारी बेहद खुश है उनका कहना है की अब नई पीढ़ी को आने का मौका मिलेगा साथ ही सारी सुविधा भी मिलेगी।1983 में अधिग्रहण किया गया था। 40 साल में भी सेवा नियमावली न बनने और वेतनमान तय न होने को लेकर सवाल उठते रहे थे। इसे दूर करने का प्रयास तो कई बार किया गया पर हर बार मामला फाइलों तक ही सीमित रहा। अब जाकर न्‍यास की नियमावली तैयार हुई है।

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