जानिए फिर क्यो बीएचयू के सिनियर कार्डियोलोजिस्ट शुरू करने जा रहे है बीएचयु गेट से एम्स के लिए महाअभियान
बीएचयु अस्पताल के कोडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ ओमशंकर शुरू करने वाले है स्वास्थ की मौलिक अधिकार की लड़ाई
वाराणसी। कुछ दिनों पहले बीएचयू सिंहद्वार पर 29 दिनों तक BHU के बाहर बनारस में एम्स की मांग पर धरने पर बैठ चुके कार्डियोलॉजिस्ट ओम शंकर ने एक बार फिर सोशल मीडिया पर इसकी मांग दोहराई है। इसके साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो दिन पहले पोस्ट डालते हुए लिखा है कि जल्द ही एक बार फिर इसके लिए लड़ाई शुरू करने जा रहा हूं।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय एक बार फिर सर सुंदरलाल चिकित्सालय से अलग एम्स की मांग उठने लगी है। बता दें कि इससे पहले भी एम्स की मांग को लेकर कार्डियोलॉजी के डॉक्टर लगभग 29 दिनों तक बीएचयू सिंह द्वार पर धरना दिए थे। उस दौरान धरनारत कार्डियोलॉजी के चिकित्सक डॉक्टर ओम शंकर ने आश्वासन के बाद धरना समाप्त कर दिया था परंतु सोशल मीडिया पर डॉक्टर ओम शंकर द्वारा किया गया पोस्ट इस समय लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। डॉ ओम शंकर ने बताया कि हम लोग काफी समय से इस देश के हर कोने में स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार की लड़ाई शुरू की है, जिससे असर भी हुआ है। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता पर रखा है। हाल ही में प्रधानमंत्री ने श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया जो की हमारी आस्था का केंद्र है, लेकिन जीवन और मृत्यु का संघर्ष जब होता है तो चिकित्सा सेवा की याद आती है और हाल ही में हमने कोरोना महामारी में इसे देखा और बहुत करीब से समझा है। हम लगातार ऐसे में प्रधानमंत्री जी का ध्यान वाराणसी में बीएचयू से बाहर एक एम्स की मांग कर रहे हैं पर उस मांग को दरकिनार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में चिकित्सा इसी काशी नगरी से शुरू हुई, जब धर्म नाम की कोई चीज़ नहीं थी। भगवान् धन्वन्तरि ने सबसे पहले भगवान् शिव का समुन्द्र मंथन में निकले विष को पीने के बाद किया था इसी काशी नगरी में और सृष्टि के पहले मरीज़ भी भगवान् शिव ही थे। ऐसे में हम कह सकते हैं कि इलाज की उत्पत्ति काशी से हुई। आज देश और दुनिया के कई हिस्सों से लोग यहाँ इलाज के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि बीएचयू से बाहर एम्स की मांग के साथ हमारी मांग है कि हमारे देश और सभी राज्यों के टोटल बजट में स्वास्थ्य जो की हमारा मौलिक अधिकार है उसके लिए 10 प्रतिशत बजट का प्रावधान किया जाए। इसमें 5 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों पर स्वास्थ्य सुविधाओं में खर्च किया जाए क्योंकि वहां सबसे अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होता है।
सभी जिला चिकित्सालयों को मेडिकल कालेज बनाया जाए। उन्होंने कहा कि धर्म की बात होनी चाहिए पर राजनीति के लिए नहीं।