जिस स्थान पर कभी गुरु रवींद्रनाथ टैगोर आये थे वहाँ हुआ निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन
कई विभूतियों को किया गया सम्मानित
वाराणसी । निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन का शताब्दी समारोह का आयोजन सेंट्रल हिन्दू ब्वॉयज स्कूल, कमच्छा में किया गया। इस सम्मेलन में भारत के विभिन्न प्रांतों से प्रतिनिधि उपस्थित थे। ज्ञात हो कि सन् १९२२ में इसी स्थान पर गुरु रवींद्रनाथ टैगोर उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंतर्गत प्रातः ११ बजे राष्ट्रीय ध्वज को फहराया गया एवं राष्ट्र गीत की प्रस्तुति की गई। तत्पश्चात , निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के अखिल भारतीय सभापति श्री प्रदीप कुमार भट्टाचार्य, सदस्य राज्य सभा के हाथों संगठन के पताका को फहराया गया। वंदे मातरम की समवेत प्रस्तुति की गई। इसके बाद परिसर में स्थित प. मदन मोहान मालवीय, एनी बेसेंट एवं श्री हनुमान जी को माल्यार्पण किया गया।
प्रथम सत्र का सम्मेलन एनी बेसेंट हाल में आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. प्रदीप भट्टाचार्य, विशिष्ठ अतिथि डा.पारुल बहल, प्राचार्या, विधायक श्री सौरभ श्रीवास्तव थे। मंच पर आसीन थे संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सर्वश्री मोहित गांगुली, कमल राय, मनोज सतपथी, सचिव श्री अखिल कुमार धर, कोषाध्यक्ष कनकेश चक्रवर्ती, सचिव प्रशासन समीर रज्ञित, सचिव साहित्य एवं संस्कृति श्रीमती चैताली मुखर्जी। उद्बोधन गीत श्री शांतनु राय चौधरी ने किया।
सभा दीप प्रज्वलन के बाद सभी मंचासीन बक्तागणो ने बंगला भाषा व भारतीय संस्कृति में इसके अमूल्य योगदान पर अपने विचार रखे।
वाराणसी साखा की ओर से श्री देवाशीष दास जी ने कार्यक्रम का संचालन किया। धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती झुमुर सेनगुप्ता ने किया।
सभा का अपराह्न सत्र सायं 4 बजे से स्थानीय दुर्गाचरण इंटर कॉलेज में आयोजित हुआ जिसमे वाराणसी के विशिष्ठ व्यक्तियों को सम्मानित किया गया को निम्न है —
1. चिकित्सा शास्त्र में — प्रो. अजय नारायण गंगोपाध्याय
2. शिक्षा — श्री अवधेश प्रधान
3. पत्रकारिता — श्री अमिताभ भट्टाचार्य
4. संगीत — डा. (श्रीमती) सुचारिता गुप्ता
5. समाज सेवा— श्री देवाशीष दास
तदपश्यत मुख्य वक्ता श्री अमिताभ भट्टाचार्य व अवधेश प्रधान जी ने अपने विचार रखे । सांस्कृतिक कार्यक्रम “श्री श्री मां शारदा शरणम्” की प्रस्तुति के पश्चात अखिल भारतीय बंग साहित्य सम्मेलन के सचिव श्री अनिल कुमार धर ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के सफल संचालन में श्री मुरारी मोहन सेनगुप्ता , डा. श्रीमती झुमूर सेनगुप्ता, श्री एस. पी. राय , श्री चंद्रशेखर मल्लिक, श्री विकास चंद्र वल्लभ एवं श्री अंकुर मुखर्जी का योगदान बहुमूल्य था। धन्यवाद ज्ञापन श्री देवाशीष दास ने किया।