World Physiotherapy Day पर रामकृष्ण मिशन होम आफ सर्विस के अस्पताल में Advance Physiotherapy Unit का उदघाटन
फ़िज़ीओथेरापी के इस यूनिट के जरिए मरीजों को होगा फायदा

वाराणसी। World Physiotherapy Day पर वाराणसी के लक्सा स्तिथ रामकृष्ण मिशन होम आफ सर्विस के अस्पताल में Advance Physiotherapy Unit का उदघाटन आज के मुख्य अतिथि पुलिस कमिश्नर श्री मुथा अशोक जैन (आई॰पी॰एस॰) ने एवं भाग दो का उदघाटन सम्मानित अतिथि डी॰आई॰जी॰ – एन॰डी॰आर॰एफ़॰ श्री मनोज कुमार शर्मा जी ने अपने कर कमलों से किया।

तत्पश्चात् रामाकृष्णा मिशन के स्वामी विवेकानंद प्रेक्षागृह में मुख्य अतिथि श्री मुथा अशोक जैन, सम्मानित अतिथि श्री श्री मनोज कुमार शर्मा, विशिष्ट अतिथि काशी विश्वनाथ मंदिर के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर नागेंद्र पाण्डेय, डाक्टर एस॰एस॰पांडेय, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, फ़िज़ीओथेरापी, हड्डी विभाग, आई॰एम॰एस॰, बी॰एच॰यू॰, रामाकृष्णा मिशन होम आफ सर्विस के सचिव स्वामी भेदातितानन्द जी (कल्याण महाराज) और अस्पताल के इंचार्ज स्वामी अप्रेमियानन्द जी (आशीष महाराज) ने दीप प्रज्वलित करके अनुष्ठान का सुभारम्भ किया।स्वागत भाषण और रामाकृष्णा मिशन के बारे में विस्तृत जानकारी हड्डी विभाग के सीनियर डॉक्टर गौतम चक्रवर्ती जी ने दिया।
वर्ल्ड फ़िज़ीओथेरापी डे (World Physiotherapy Day) और साथ ही साथ आज हमारे जीवन में फ़िज़ीओथेरापी का कितना महत्व है इसकी विस्तृत जानकारी डाक्टर एस॰एस॰पांडेय जी ने दिया।मुख्य अतिथि श्री मुथा अशोक जैन जी ने भी कहा कि आज हमारे जीवन में फ़िज़ीओथेरापी का बहुत ही महत्व है, फ़िज़ीओथेरापी से बहुत बड़े बड़े शल्य क्रिया से मुक्ति मिलती हैं।तत्पश्चात् प्रोफ़ेसर नागेंद्र पांडेय जी ने कहा हर व्यक्ति में सेवा का भाव होना चाहिए। रामाकृष्णा मिशन की स्थापना इसी उद्देश्य से भारत पथिक स्वामी विवेकानंद जी ने किया था।
डी॰आई॰जी॰ श्री मनोज कुमार शर्मा जी ने विस्तृत रूप से श्री श्री रामाकृष्णा परमहंस जी, मॉ शारदा जी और स्वामी विवेकानंद जी के जीवन पर प्रकाश डाला और उन्होंने भी कहा हम सबके अन्दर सेवा भाव होना अनिवार्य है।

धन्यवाद ज्ञापन रामाकृष्णा मिशन अस्पताल के जनरल सर्जरी विभाग के सर्जन डॉक्टर हिमांशु राय ने किया। सम्पूर्ण अनुष्ठान सचिव स्वामी भेदातितानन्द जी (कल्याण महाराज) और अस्पताल के इंचार्ज स्वामी अप्रेमियानन्द जी (आशीष महाराज) के देखरेख में सम्पन्न हुआ।सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन श्री देवाशीष दास जी ने किया।