संस्कृति

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस को कोर्ट में लाने वाले जितेंद्र सिंह विसेन के सभी केस के पैरोकार बने कुंडा-प्रतापगढ़ राजघराने के बड़े राजा साहब

कुंडा-प्रतापगढ़ राजघराने के बड़े राजा ने कहा ज्ञानवापी को बेचने नहीं देंगे

दिल्ली । कुंडा-प्रतापगढ़ राजघराने के बड़े राजा साहब श्रीमान उदय प्रताप सिंह जी ज्ञानवापी प्रकरण में पैरोकार । कुंडा-प्रतापगढ़ राजघराने के बड़े राजा साहब श्रीमान उदय प्रताप सिंह जी ने दिल्ली में विश्व वैदिक सनातन संघ के संस्थापक/प्रमुख जितेंद्र सिंह “विसेन” के आवास पर जाकर उनके परिवार से मुलाकात कर ज्ञानवापी प्रकरण पर लगभग 02 घंटे विस्तृत चर्चा की।राजा साहब ने विस्तृत चर्चा के बाद ज्ञानवापी सेसंबंधित मुकदमों की पैरवी का दायित्व स्वयं उठाने का निर्णय लिया। महाराजा उदय प्रताप सिंह जी ने विसेन परिवार को आश्वस्त करते हुए, यह आशीर्वाद तथा वचन दिया कि ज्ञानवापी का मुकदमा हिंदुओं के पक्ष में आए इसके लिए हर उचित कदम उठाए जाएंगे।किसी को ज्ञानवापी न तो बेचने दिया जाएगा और न ही सनातनी हिंदुओं की भावना से किसी प्रकार का खिलवाड़ करने दिया जाएगा।

कुंडा के राज परिवार से मिलते जितेंद्र सिंह विसेन और उनका परिवार

इसी के साथ यह भी निर्णय लिया गया कि, ज्ञानवापी प्रकरण को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए वाराणसी जिला न्यायालय, प्रयागराज हाईकोर्ट एवं सर्वोच्च न्यायालय के लिए विद्वान अधिवक्ताओं की टीम सुनिश्चित की जाएगी । सभी वरिष्ठ अधिवक्ताओं की सहमति के बाद अतिशीघ्र नामों की घोषणा कर दी जाएगी ।श्रीमान उदय प्रताप सिंह जी ने सनातनी हिन्दू समाज को सतर्क और सजग रहने की बात कही। आनेवाले समय में विश्व वैदिक सनातन संघ के द्वारा चल रहे धर्मयुद्ध को और धार देने की आवश्यकता है, जिससे सनातनी समाज में मुखौटे में छुपे गद्दारों पर अंकुश लगाते हुए इस्लामिक कलंको से छुटकारा पाया जा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सन्तोष सिंह ने राजा साहब के उक्त साधिकार निर्णय की खुले दिल से स्वागत करते हुए कहा कि सनातनी हिंदुहितों से समझौता नहीं किया जा सकता है। हमारे धर्मयुद्ध का उद्देश्य ही भागवाहिन्द है और हम निरंतर हिंदुहितों एवं अपनें सनातनी हिन्दुवों की आस्था के केंद्रों के लिए लड़ते रहेंगे भले प्राण ही न्यौछावर क्यों न करना पड़े । इस धर्मयुद्ध में सभी सनातनी हिंदुओं का आह्वान करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष नें कहा जो समाज अपने आस्था केंद्रों की रक्षा नहीं कर सकता उसका जीना धिक्कार है।

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