काशीसमाचार

प्रेमचंद्र की 142 वी जयंती पर भी क्यों नही बन सका उनका स्मारक अब कैसे साकार होगा ये सपना

मुंशी जी के बनाए हुए घर में बनेगा स्मारक

वाराणसी। हिंदी साहित्य के कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के घर को राष्ट्रीय स्मारक स्थल के रूप में विकसित करने की कोशिश उनके 142 जयंती के अवसर पर भी हो रही है पर अफसोस की इतने सालो बाद भी वाराणसी में उनके गांव लमही में उनके पैतृक निवास को अभी तक स्मारक नही बनाया जा सका हालांकि योजना जरूर है पर ऐसा क्या पेंच फसा है की भारत के इस सेकेस्पेयर की स्मारक अभी – भी अधूरी है।

मुंशी प्रेमचंद का पैतृक निवास

मुंशी प्रेमचंद की 142 वी जयंती हम मना रहे है पर अब तक उनका बनाया हुआ घर स्मारक का रूप तक नहीं ले सका वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल कहते है की उनके मकान को स्मारक बनाया जाए पर अब शासन इसके लिए उनके परिवार से ऐन ओ सी मांग रही है ताकि उनके घर को स्मारक का रूप दिया जा सके और सभी उम्मीद कर रहे है की उनके आने वाले जयंती समारोह जो 2023 मनाया जायेगा जब उनकी 143 वी जयंती मनाई जाएगी तब वो उनके भव्य स्मारक में ही मनाई जाए।जिसके लिए लगभग सात करोड़ रुपए तक प्रस्तावित भी है।

इसी जगह मुंशी जी का स्मारक बनेगा

 मुंशी प्रेमचंद की जन्मस्थली को राष्ट्रीय स्मारक के तौर पर विकसित कर पर्यटन का नया केंद्र बनाने की तैयारी है। ताकि प्रेमचंद के साहित्य का दूर-दूर तक प्रचार-प्रसार हो सके। वर्तमान में प्रेमचंद के नाम पर वाचनालय और सभागार का निर्माण हुआ है। इसके साथ ही उनके घर को संरक्षित किया गया है। लेकिन संरक्षण का कार्य व्यवस्थित नहीं होने से उनकी पुस्तकें व यादें नष्ट हो रही हैं। मंत्रालय की मंशा है कि प्रेमचंद के कहानियों के प्रमुख पात्रों की लाइव प्रदर्शनी लगे। इसके साथ ही उनके जीवन से जुड़ी यादों को सहेजा जाए। इसके साथ ही उनके जीवन और साहित्य पर शोध भी किया जाएगा। पर इन सब के लिए उनका स्मारक बनाना आवश्यक है फिलहाल उनके बनाए हुए मकान में मुंशी जी के नाम से उनकी कहानियों और उनके यादों को संजोए रखे अस्थाई लाइब्रेरी के केयर टेकर बताते है की सभी की यही इच्छा है की उनका ये घर स्मारक के रूप में तब्दील हो पाए और उन्हें उम्मीद भी है की इसके लिए उनके घर के लोग आपत्ति भी नहीं करेंगे क्योंकि प्रेमचंद्र किसी एक के नहीं सबके है और उनके कहानी और उनकी लेखनी हर एक तक पहुंचनी चाहिए।मुंशी जी को इस दुनिया से गए 82 साल हो गए और अब हम उनकी 142 वी जयंती मना रहे है पर भारत के इस सबसे बड़े रचनाकार का स्मारक आज तक नहीं बन पाया पर अब सभी उम्मीद कर रहे है की जल्द ही उनके द्वारा बनाया गया घर अब उनका स्मारक का रूप लेगा ताकि उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button