काशी का अनोखा मंदिर जो 350 साल से 9 डिग्री तक झुका हुआ है। ..मंदिर में विराजमान रहती है हमेशा माँ गंगा अद्भुत है रहस्य
दत्तात्रेय घाट पर रत्नेश्वर महादेव का मंदिर

वाराणसी। मंदिरो की नगरी काशी में ढ़ेरों ऐतिहासिक मंदिर हैं जहां हर दिन भक्तों की कतार लगती है। लेकिन इसी काशी में एक ऐसा मंदिर है जो टेढ़ा है जहां ना तो भक्त दिखते हैं और ना ही घंटा घड़ियाल की गूँज सुनाई देती है।काशी के मणिकर्णिका तीर्थ पर स्थापित ये मंदिर 9 डिग्री तक टेढ़ा है जिसे रत्नेशवर महादेव के रूप में जाना जाता है ये मंदिर कैसे टेढ़ा हुआ इसके पीछे कई किम्वदन्तिया है पर ये आज भी रहस्य है की 350 साल पहले बना मंदिर कैसे इस रूप में आज भी खड़ा है। वाराणसी का मणिकर्णिका तीर्थ पर स्थापित इस मंदिर का इतिहास लगभग 350 सालों से भी अधिक पुराना है। वाराणसी के मणिकर्णिका घाट के समीप दत्तात्रेय घाट पर रत्नेश्वर महादेव का मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में ना तो आपको भक्त दिखेंगे और ना ही घंट घड़ियाल की गूँज सुनाई देगी। काशी के इस ऐतिहासिक मंदिर के श्रापित होने के कारण ना ही कोई भक्त यहाँ पूजा करता और ना ही मंदिर में विराजमान भगवान् शिव को जल चढ़ाता है। मंदिर लगभग 350 साल से एक तरफ झुका हुआ है लोग इस मंदिर की तुलना पीसा की मीनार से भी करते हैं। इस मंदिर के बारे में एक ओर दिलचस्प बात है कि यह मंदिर छह महीने तक पानी में डूबा रहता है। बाढ़ के दिनों में 40 फीट से ऊंचे इस मंदिर के शिखर तक पानी पहुंच जाता है। बाढ़ के बाद मंदिर के अंदर सिल्ट जमा हो जाता है। मंदिर टेढ़ा होने के बावजूद ये आज भी कैसे खड़ा है, इसका रहस्य कोई नहीं जानता है। कहा ये भी जाता है की 15वीं और 16वीं शताब्दी के मध्य कई राजा,रानियां काशी रहने के लिए आए थे। काशी प्रवास के दौरान उन्होंने कई हवेलियां ,कोठियां और मंदिर बनारस में बनवाएं। उनकी मां भी यहीं रहा करती थीं। उस समय उनका सेवक भी अपनी मां को काशी को लेकर आया था। सिंधिया घाट पर राजा के सेवक ने राजस्थान समेत देश के कई शिल्पकारों को बुलाकर मां के नाम से महादेव का मंदिर बनवाना शुरू किया। मंदिर बनने के बाद वो मां को लेकर वहां गया और बोला कि तेरे दूध का कर्ज उतार दिया है। मां ने मंदिर के अंदर विराजमान महादेव को बाहर से प्रणाम किया और जाने लगी। बेटे ने कहा कि मंदिर के अंदर चलकर दर्शन कर लो। तब मां ने जवाब दिया कि बेटा पीछे मुडक़र मंदिर को देखो, वो जमीन में एक तरफ धंस गया है। कहा जाता है तब से लेकर आज तक ये मंदिर ऐसे ही एक तरफ झुका हुआ है।
