बुजुर्ग की बीमार पत्नी को ठेले अस्पताल ले जाते तस्वीर वायरल, डिप्टी CM बृजेश पाठक ने लिया था संज्ञान
ये तस्वीरे जगह - जगह से आती रही है जो हमारे सिस्टम पर सवाल खड़ी करती है
आदित्य कुमार , बलिया
बलिया। उत्तर प्रदेश में सरकार चाहे जीरो टालरेन्स की नीति व भ्रष्टाचार मुक्त उत्तर प्रदेश के जितने भी दावे कर ले लेकिन जमीनी हकिकत तो कुछ और ही देखने को मिलती है। जिसका जीता जागता उदाहरण बलिया में देखने को मिला। जब एक बुजुर्ग पति की अपनी बीमार पत्नी को इस कड़कड़ाती धूप में ठेले पर लेटाकर अस्पताल ले जाते तस्बीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। तस्वीर वायरल होने के होने के बाद डिप्टी cm बृजेश पाठक ने मामले पर संज्ञान लेते हुए जांच कर कार्ययवाई करने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल मामला बलिया के चिलिकहर ब्लॉक के अन्दौर गांव का है। जहां 60 वर्षीय सुकुल प्रजापति ने बताया कि 28 तारीख को वह खेत मे काम कर लौटे तो उनकी पत्नी बीमार हो गई थी। उनको पहले से सुगर की बीमारी थी। सुकल प्रजापति ने बताया की उनके पास कोई मोबाइल भी नही है। वह हमेशा की तरह इस बार भी बिना एम्बुलेंस बुलाये अपनी बीमार पत्नी को ठेले पर लेटाकर प्राथमिक स्वास्थ केंद्र चिलिकहर ले गए। जहाँ फार्मेशिष्ट नें एक इन्जेक्शन देकर बिना रेफर कागज बनाए व बिना एम्बुलेंस की व्यवस्था किये ही उन्हे मरीज को लेकर जिला अस्पताल जाने को कहा। मगर उसके पास पैसा नही होने के कारण वह अपनी पत्नी को पियारिया बाजार के पास ठेले पर ही लेटाकर पैदल घर गया और कुछ पैसे लेकर आया और अपनी पत्नी को ऑटो रिक्सा से जिला अस्पताल ले गया। जहां जिला अस्पताल में सारी सुविधाएं होने के बावजूद भी जाँच के नाम पर उनसे 350 रू० लिए गए। जहां इलाज के दौरान उसकी पत्नी जोगनी की मौत हो गई।
कारगुजारी की हद तो तब हुई जब वहां के डाक्टरों ने मौत के बाद शव को लाने के लिए भी शव वाहन तक मुहैया नहीं करायी। पीड़ीत का कहना है कि मैने शव को घर लाने के लिए एम्बुलेंस की मांग की पर वहां के डाक्टरों नें रात का हवाला होते देते हुए प्राईवेट एम्बुलेंस से शव को ले जाने को कहा। जहां उनसे प्राईवेट एम्बुलेंस के नाम पर भी 1100 रू० वसूले गए। जिसके बाद प्राईवेट एम्बुलेंस के से उन्हे घर लाया गया। पीड़ित का कहना है कि उनका आयुश्मान कार्ड के लिए कुछ माह पहले आवेदन किया गया था। पर अबतक उन्हे वो भी नहीं प्राप्त हुआ है।मामले पर जानकारी देते हुए CMO बलिया निरज कुमार पाण्डेय ने बताया कि उन्होने जानकारी के अभाव में एम्बुलेंस को फोन नहीं किया व ठेले पर ही अपनी पत्नी को चिलकहर अस्पताल ले गए। जहां उनसे किसी व्यक्ति नें कहा कि जिला अस्पताल ले लाईये तो वो अपने नीजी साधन से अन्हें जीला अस्पताल ले आए। जहां इलाज के दौरान उनकी पत्नी की मौत हो गयी। अस्पताल में फार्मेशिष्ट के अटेन्ड कर बिना रेफर कागज बनाए व बिना एम्बुलेंस के भेजने के सवाल पर कहा कि मैं इस विषय को पता करता हूॅ अगर कुछ ऐसा मिलता है तो उसपर दोशीयों पर कार्यवाई की जाएगी। वहीं जिला अस्पताल से शव ले जाने के लिए शव वाहन न मिलने व प्राईवेट एम्बुलेंस के नाम पर धनऊगाही के सवाल पर कहा कि अगर किसी सरकारी आदमी में इस तरह का कुछ उनसे कहा होगा तो मामले की जांच कर उसपर कार्यवाई की जाएगी ।