वाराणसी। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर सोमवार को जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की सलाह दी गयी। तनाव को मानसिक रोगों का सबसे बड़ा कारण बताते हुए, इससे बचने को कहा गया। इसके साथ ही जनपद में मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता सप्ताह में आज से शुरू हो गया। इसके तहत हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे जीवन में बेहद अहमियत रखता है, फिर भी ज्यादातर लोग इसकी अनदेखी करते हैं जोकि बाद में उनके लिए घातक साबित हो जाता है । अतः मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सभी जागरूक होना बेहद जरूरी है। समय से उपचार कराकर मानसिक रोगों का निदान कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करने के लिए ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर सोमवार को जिले के सभी सरकारी अस्पतालों के साथ ही समस्त प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया गया। इसमें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से संबन्धित जानकारी व इलाज के लिए उचित सलाह दी गयी। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता सप्ताह भी सोमवार से शुरू हो गया जिसमें नागरिकों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने लिए गोष्ठी समेत अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर शिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय के मानसिक/ मनोरोग विभाग में भी जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर *एसआईसी डा. घनश्याम मौर्या* ने कहा कि आमतौर पर लोग मानसिक स्वास्थ्य पर ठीक से ध्यान नहीं देते हैं। आज की भाग-दौड़भरी जिंदगी में तनाव के कारण लोग मानसिक रोगों के शिकार हो रहे हैं। अधिक डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति के मन मे आत्महत्या जैसे ख्याल भी आने लगते हैं। लिहाजा अपनी दिनचर्या को नियमित रखने के साथ-साथ हमे तनाव से भी बचने की जरूरत है।
मंडलीय चिकित्सालय के मनोचिकित्सक डॉ रविंद्र कुशवाहा* ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जनमानस को जागरूक करना बेहत जरूरी है। डॉ रविंद्र ने कहा कि मेंटल स्ट्रेस, डिप्रेशन, इंजायटी से लेकर हिस्टिरिया, डिमेंशिया, फोबिया जैसी कई मानसिक बीमारियां दुनिया में तेजी से बढ़ रही हैं जिनसे सावधान रहने की जरूरत है। मानसिक रोग के प्रारंभिक लक्षणों पर सभी को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि नींद न आना या देर से आना, भूख में कमी, तनाव, उलझन, घबराहट आदि का रहना, बार-बार आत्महत्या का विचार आना, उदासी, लोगों से दूर रहना, चिड़चिड़ापन जैसी समस्या यदि किसी को है तो उसे चिकित्सक से तत्काल परामर्श लेना चाहिए। यह मानसिक रोग भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल, पर्याप्त नींद, पौष्टिक आहार व नियमित व्यायाम करने के साथ ही चिंता मुक्त होकर मानसिक रोगों से बचा जा सकता है। कार्यक्रम में डा. अतुल, डा. अभिषेक के आलावा मानसिक/ मनोरोग विभाग की ईरा त्रिपाठी, वंदना सिंह, अमृता व उषा भी मौजूद थी ।