काशीराजनीति

वाराणसी में नामंकन के अंतिम दिन एक मुर्दे ने भरा नामंकन पत्र

कागजो में मुर्दा संतोष सिंह 2012 से अब तक हर चुनाव में नामांकन कर चुके है

वाराणसी। वाराणसी में नामांकन के अंतिम दिन एक मुर्दे ने भी नामंकन किया है दरसल वाराणसी के रहने वाले संतोष मूरत सिंह 20 वर्षों से कागजों पर मृत चल रहे हैं। संतोष खुद को जिंदा साबित करने के लिए जद्दोजहद कर रहें हैं। पिछले 20 साल से गले में मैं जिंदा हूं की तख्ती डाल कर चल रहे हैं। खुद को जिंदा साबित साबित करने के लिए संतोष मूरत सिंह जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन धरने पर भी बैठ चुके हैं, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं है। खुद को जिंदा साबित करने के लिए संतोष ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए महाराजपुर विधानसभा सीट से नामांकन ख़ारिज होने के बाद अब वाराणसी के शिवपुर विधान सभा सीट से नामांकन भरा है।

कागजो में मुर्दा संतोष सिंह नामंकन पत्र के साथ

वाराणसी के चोलापुर के रहने वाले संतोष सिंह ने कहा की उत्तर प्रदेश सरकार मुझे मृत घोषित कर चुकी है, लेकिन मैं जिंदा हूं। बीस वर्षों से अपने आप को जीवित घोषित करने के लिए तमाम जद्दोजहद कर रहा हूं, लेकिन आज तक सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी है। मैं नामांकन भरने के लिए कानपूर गया वहां नामंकन निरस्त हुआ तो अब अपने नगर वाराणसी के शिवपुर विधान सभा सीट से नामांकन किया है संतोष ने बताया कि रिटर्निंग ऑफिसर ये कह कर भेज देते हैं कि जहां पर मरे हो वही पर जाकर नामाकंन भरो तो वही से जिंदा हो जाओगे। यहां क्यों मरने के लिए चले आए हो। ये बताइए कि ये लोकतंत्र है या फिर षड्यंत्र है। मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। पहले भी हमने नामांकन करता रहा हु राष्ट्रपति से लेकर हर चुनाव में नामंकन किया हु पर कागच पर मुर्दा हु इसलिए हमारा पर्चा कैंसिल कर दिया गया। मेरे साथ यहां भी अन्याय हो रहा है। बीस वर्षों से मैं कागजों में मरा हुआ हूं। मुझे गूगल में भी सर्च किया जा सकता है। मेरे बीस वर्षों का संघर्ष आप गूगल पर भी देख सकते हैं।

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