वाराणसी। अध्यापिका स्वाति (40 वर्ष) उस रात नहीं सो पाईं जब उन्हें अपने स्तन पर उभरी गांठ का अहसास हुआ। उन्हें लगा कि कहीं यह स्तन कैंसर तो नहीं। सुबह होते ही वह ‘सम्पूर्णा क्लीनिक’ पहुंची। जांच के बाद डॉक्टर ने जब उन्हें बताया कि यह एक सामान्य गांठ है। कुछ ही दिन के ठीक हो जाएंगी। इसी तरह ममता (38 वर्ष ) को दो वर्ष से ब्रेस्ट में गांठ थी। गांठ में कभी दर्द नहीं हुआ, इस वजह से उन्होंने उसे कभी गंभीरता से भी नहीं लिया। अचानक उनके निप्पल से श्राव होने लगा। उपचार के लिए वह सम्पूर्णा क्लिनिक पहुंची। जांच में जब पता चला कि यह स्तन कैंसर के लक्षण हैं। वह रोने लगी। उन्हें अफसोस हुआ कि उन्होंने ब्रेस्ट में हुई गांठ के प्रति लापरवाही क्यों बरती। समय रहते यदि उपचार कराया होता तो यह दिन आज न देखना होता।प. दीनदयाल चिकित्सालय में स्थिति ‘सम्पूर्णा क्लिनिक’ में ऐसे मामले अक्सर देखने को मिलते हैं। इसको लेकर महिलाओं को सावधान एवं सतर्क रहने की आवश्यकता है। *सम्पूर्णा क्लिनिक ’की प्रभारी व वरिष्ठ चिकित्सक डा. जाह्नवी सिंह* कहती हैं स्तन में बनी कोई भी गांठ को नजरअंदाज करना एक बड़ी मुसीबत को आमंत्रण देने जैसा है। हालांकि हर गांठ से कैंसर नहीं होता है। फिर भी सतर्क रहना चाहिए।
ब्रस्ट में गांठ है तो न घबरायें, जांच करायें
डा. जाह्नवीं कहती है “स्तन कैंसर का प्रमुख लक्षण स्तन में गांठ को माना जाता है, लिहाजा स्तन में गांठ का पता चलते ही आम तौर पर महिलाएं घबरा जाती हैं, जबकि उन्हें घबराना नहीं चाहिए।“ वह बताती है कि आम तौर पर ब्रेस्ट में होने वाले बदलाव पीरियड्स के दौरान, पीरियड्स बंद होने के दौरान अथवा गर्भावस्था के दौरान होते है। दरअसल महिलाओं मे हार्मोन्स के बदलाव व ब्रेस्ट टिशूज में फैट बढ़ने के कारण भी गांठ बन जाती है। कुछ महिलाओं के स्तन में कई छोटी-छोटी गांठ हो जाती है। कुछ में सिर्फ एक बड़ी गांठ बन जाती है। उन्हें चिकित्सक की सलाह पर अपनी जांच करानी चाहिए।
*छोटी गांठ से हो सकती कैंसर की शुरूआत-* डा. जाह्नवी बताती हैं कि स्तन कैंसर की शुरुआत ब्रेस्ट में छोटी गांठ से भी हो सकती है। शुरूआती स्थिति में चिकित्सक की सलाह पर गांठ की जांच कराकर कैंसर का निदान किया जा सकता है लेकिन इसमें बरती गयी लापरवाही ही बाद में मरीज के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है।
स्तन की नियमित रूप से खुद करें जांच
डा जाह्नवी बताती है कि स्तन कैंसर महिलाओं में सर्वाधिक पाया जाने वाला कैंसर है। पहले 40 से 45 वर्ष की महिलाओं के स्तन कैंसर से पीड़ित होने की संभावना सबसे अधिक रहती थी पर अब 30 से 40 वर्ष की महिलाओं में भी इसकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस संकट से बचने के लिए महिलाओं को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि उनके स्तन में कहीं कोई गांठ तो नहीं उभर रही। इसके लिए 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को अपने स्तन की जांच हर माह स्वयं करनी चाहिए और वर्ष में एक बार चिकित्सक से उसका परीक्षण कराना चाहिए। गांठ का पता चलते ही फौरन चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए ताकि इसका परीक्षण हो सके कि गांठ कैंसर युक्त है या कैंसर मुक्त। स्तन की जांच स्वयं कैसे करें? इस बारे में जानकारी के लिए किसी चिकित्सक अथवा पं. दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय में स्थित ‘सम्पूर्णा क्लिनिक ’में सम्पर्क किया जा सकता है।
यह है खतरे की घंटी
• स्तन में किसी तरह की गांठ
• निप्पल से किसी तरह का श्राव
• निप्पल का अंदर की ओर धंसना
• स्तन की स्किन संतरे के छिलके की तरह होना
• किसी एक स्तन के आकार में परिवर्तन