
वाराणसी।गर्मी के साथ ही पानी का जलस्तर लगातार कम हो जाता है पर वाराणसी में गर्मी के शुरुवात में ही मार्च के महीने में ही गंगा सूखती हुई नजर आ रही है गंगा में जगह – जगह बालू के टीले नजर आ रहे है कई जगहों पर यह टीले गंगा के बीचों – बीच है…..इन टीलों की वजह से गंगा का बनारस में प्रवाह बदल रहा है. नदी वैज्ञानिक कहते अगर गंगा को अविरल नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में गंगा सूखने के साथ ही पेय जल संकट उत्त्पन्न हो जायेगा।

इन तस्वीरों को देख कर यकींन कर पाना मुश्किल है जहा कुछ दिन पहले गंगा की लहर नजर आती थी आज वह जगह किसी टापू की तरह नजर आ रहा है देवनदी गंगा काशी से रूठने लगी हैं। अस्सी से आदिकेशव घाट तक किनारों से उनका दूर होना ऐसे ही खतरे की ओर इशारा कर रहा है मौजूदा हालात यह हैं कि कहीं 30 तो कहीं 60 फुट तक घाटों से गंगा दूर हो गई हैं। गंगा की बीच धारा में अब रेत का टीला दिखाई देने लगा है।वाराणसी में गंगा के जलस्तर में एक साल में ढाई फीट से अधिक की कमी आ चुकी है। बीएचयू के महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र प्रमुख प्रो. बीडी त्रिपाठी गंगा में जलस्तर के कम हो जाने से बेहद चिंतित है उनका कहना है अब गंगा प्रदुषण चिंता तो उतनी नहीं जितना की गंगा को बचाना एक प्रमुख चिंता का कारन है जब पानी ही नहीं रहेगा तो गंगा का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा पहले मई के महीने में फिर अप्रैल के महीने में गंगा में टीले नजर आते थे पर अब मार्च में ही नजर आ रहे है इससे ग्राइंड वाटर लेवल कम होगा और पेय जल की स्तिथि भी बेहद खराब हो सकती है।