काशी की अंकिता नादान को मिला “हिंदी सेवा सम्मान”
तीन काव्य संग्रह "मेरी नादानियां" प्रकाशित हो चुके हैं

वाराणसी। विश्व हिंदी अकादमी, मुंबई और मालवा रंगमंच समिति के संयुक्त तत्वाधान में जुहू, इस्कॉन के सभागार में आयोजित हिंदी दिवस के उपलक्ष पर अंकिता नादान को 25 वें हिंदी सेवा सम्मान से अलंकृत किया गया।अंकिता मूलतः बनारस से है। आपके तीन काव्य संग्रह “मेरी नादानियां” प्रकाशित हो चुके हैं। इस अत्यंत प्रचलित संकलन श्रृंखला की चौथी कड़ी “आज़ादी के अमृत महोत्सव की मेरी नादानियां” का अगले माह अक्टूबर में विमोचन है।

मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में गीतकार के रूप में सतत कार्यरत अंकिता नादान का कहना है कि नई पीढ़ी की महिला गीतकारों मे वो अपनी अलग पहचान बनाना चाहती हैं। मुंबई की म्यूजिक इंडस्ट्री से उन्हें उत्साहवर्धक प्रोत्साहन के साथ काफ़ी काम भी मिल रहा है। बनारस से बॉलीवुड की अपनी यात्रा को नियति निर्धारित बताते हुए अंकिता नादान ने कहा कि अपने गीतों में संवेदना और संदेश का सम्मिलन कर उन्हे यादगार बनाना चाहती हैं। सम्मान समारोह के संयोजक केशव राय ने बताया की विगत 25 वर्षों से वो हिंदी के उत्थान में योगदान दे रहे देश विदेश के लेखकों , कलाकारों को हिंदी दिवस पर सम्मानित कर हिंदी के प्रयोग और उपयोग को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं।संगीतकार खय्याम, कल्याण जी आनंद जी, रविन्द्र जैन , अनूप जलोटा से लेकर अमिताभ भट्टाचार्य , प्रसून जोशी, पियूष मिश्रा सहित कई प्रसिद्ध व्यक्तियों को सम्मानित किया गया है।अंकिता नादान नवीन रचनाचारों में अपने मौलिक लेखन शैली के कारण सराही जा रही हैं। अंकिता नादान ने अपना सम्मान पुण्य नगरी काशी और मां गंगा को समर्पित किया।