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कैसी होती है देशी दीपावली जानिए दीयों के साथ आया जादुई लैंप

दीयों के साथ ही जादुई लैंप, जादुई शंख, नारियल दीप, मिट्टी के झालर समेत अनेकों सजावटी समान बना रहे कुम्हार

वाराणसी। इलेक्ट्रिक सोलर चाक व प्रशिक्षण ने कुम्हारों की सिर्फ जिंदगी ही नहीं बदली है, बल्कि अब वे चाइना के उत्पादों को भी चुनौती दे रहे हैं। कुम्हार दीपावली के लिए डिजाइनर और मैजिक दीयो के साथ सजाने के अन्य मिट्टी के सामान भी बना रहे हैं। *योगी सरकार कुम्हारों को प्रशिक्षण देकर उनके परंपरागत व्यवसाय में और हुनरमंद बना रही है।इससे उनका जीवन स्तर तो सुधर ही रहा है, साथ ही बदलते जमाने की मांग के अनुरूप वे अपना प्रोडक्ट तैयार करने का हुनर भी सीख रहे हैं। 

लोकल और वोकल

खादी ग्रामोद्योग आयोग के उप निदेशक एवं प्रभारी रितेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार की ओर से गरीबी रेखा के नीचे वाले रहने वाले कुम्हारों को निःशुल्क इलेक्टिक सोलर चाक दिया गया है। इसकी कीमत 20 हज़ार रुपए है। साथ ही क्लस्टर में इनका प्रशिक्षण भी करवाया जाता है। इससे ये मिट्टी को अलग अलग आकार देने में सक्षम हो रहे हैं और नये-नये उत्पाद बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के चलते इनकी आय में इजाफा हो रहा है, जिससे इनका जीवन स्तर ऊपर उठा है। इसके लिए क्लस्टर इनको डिजाइन, पैकेजिंग, रंग आदि सभी चीजों की ट्रेनिंग देता है।

देशी दीपावली की धूम बाजार में आया शंख

परंपरागत रूप से कुम्हार का कार्य करने वाले वाराणसी के विकास प्रजापति ने बताया कि इलेक्ट्रिक सोलर चाक ने हमारे जीवन में खुशहाली ला दिया है। सौर ऊर्जा से चलने के कारण इस चाक से बिजली के बिल की बचत तो हो ही रही है, हम अब तय समय में पहले से कई गुना ज्यादा उत्पादन भी कर रहे हैं। इसके अलावा सरकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम से हम लोग नई डिजाइन के नए उत्पाद बनाना सीख रहे हैं। मिट्टी के उत्पादों को सुरक्षित पैक करना, रंगना और उन्हें सही तापमान पर पकाने का प्रशिक्षण भी हमें मिल रहा है। इससे हम लोग ख़ास दीपावली के लिए मिट्टी के जादुई लैंप, डिजाइनर दिये, जादुई शंख और नारियल के आकार के दीये, जिसमें तेल दिखाई नही देता। इसके अलावा मिट्टी के झालर, लालटेन समेत अनेकों सजावटी समान बना रहे हैं।

देशी दिया

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