
विज्ञान की सबसे प्रतिष्ठित पत्रिका सेल में एक विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन प्रकाशित हुवा है, जिसमें यह देखा गया कि मानव में फिंगरप्रिंट पैटर्न त्वचा जीन द्वारा ना होकर अंग विकाश जीन द्वारा निर्धारित होते है। इस शोध में बीएचयू के सीजीडी की वैज्ञानिक डॉक्टर चंदना के अलावा चीन, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के शोधकर्ता सम्मिलित थे। यह अध्ययन मनुष्यों के फिंगरप्रिंट पैटर्न के जेनेटिक्स पर आधारित है। किसी भी मनुष्य का फिंगरप्रिंट एक व्यक्ति की पहचान के लिए ज़िम्मेदार होता है, यह तीन प्रकार के होते है, जिन्हें आर्च, लूप और व्होर्ल कहते है। फिंगरप्रिंट पैटर्निंग के लिए जिम्मेदार जीन को समझने के लिए टीम ने विश्व के 23000 से अधिक व्यक्तियों के डीएनए का अध्ययन किया और फिंगरप्रिंट पैटर्निंग में योगदान देने वाले 43 एसनपी (म्यूटेशन) की पहचान की । इस अध्ययन की सबसे दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने पाया कि इनमें से ज्यादातर म्यूटेशन त्वचा के विकास से संबंधित जीन के बजाय अंग विकास से जुड़े जीन्स हैं । इन जीन्स में मुख्य रूप से एक EVI1 नामक जीन पाया गया, जो भ्रूण अंग विकास में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है । जब टीम ने EVI1 जीन को चूहों में परीक्षण किया, तो उन्होंने पाया कि EVI1 की कम एक्सप्रेशन वाले जेनेटिक्ली मॉडिफ़ायड चूहों ने सामान्य चूहों की तुलना में अपने उँगलियो पर असामान्य पैटर्न विकसित किए। इसके अलावा, अध्ययन से यह भी पता चला है कि हाथ और फिंगरप्रिंट पैटर्न का अनुपात आपस में संबंधित है । उदाहरण के लिए, अपने दोनों छोटी उंगलियों पर जिनमें व्होर्ल के आकार पाए जाते है उनकी छोटी उँगलियाँ लम्बी होती हैं। डॉ चंदना, सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स, बीएचयू में कार्यरत इस टीम में भारत के एकमात्र शोधकर्ता है।

डॉक्टर चंदना ने बताया की , “चूहों में कोई फ़िंगरप्रिंट नहीं होते हैं, लेकिन लकीरें (रिजेज़) पायी जाती है, जिसकी गणना करना बहुत ही दिलचस्प था, जिसके लिए हमने एक नयी विधि ईजाद की। उसके बाद हमने जेनेटिक्ली मॉडिफ़ायड और सामान्य चूहों के बीच रिडजस पैटर्न की तुलना की और मनुष्यों के समान ही परिणाम पाया।
सीजीडी के समन्वयक प्रो परिमल दास ने कहा – “नयी तकनीकी जैसे, जीन अध्ययन, प्रोटीन नेट्वर्क, चूहों के जीन के साथ ही मानव पॉप्युलेशन जे

नेटिक्स का इस्तेमाल कोंप्लेस त्रैत के अध्ययन में बहुत लाभकारी है और समय की माँग भी है।
विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा “अंग विकास के साथ फ़िंगरप्रिंट पैटर्न का एवलूशन को अध्ययन करने का एक नया तरीक़ा है जिसके महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और सामाजिक आयाम है। इस अध्ययन में डॉ चंदना की भागीदारी ह्यूमन जीन के रहस्यों को जानने के लिए उनके महत्वपूर्ण शोध को दर्शाती है ।”