
वाराणसी।धर्म नगरी काशी से आज धार्मिक कट्टरपंथियों को जवाब देते हुए सदस्य राष्ट्रीय कार्यसमिति आरएसएस इंद्रेश कुमार ने दलित पिछडो के साथ अल्पसंख्यकों को लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किया और काशी से उन्होंने एक आंदोलन का भी आगाज किया जिसके अंतर्गत पूरे देश मे जहाँ धर्म संप्रदाय और लिंग के आधार पर मन्दिरो में प्रवेश निषेध है उसे खत्म किया जा सके।बताया जा रहा है महात्मा गांधी के बाद ऐसा पहली बार है जब कोई दलित महिलाओं को लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचा है और इस बार तो अल्पसंख्यक समुदाय भी शामिल था।जिन्होंने भी पहली बार बाबा का दर्शन किया वो अभिभूत नजर आये।

ओबीसी और दलितों को साथ जोड़ने के लिए आरएसएस के अभियान की हुई शुरुआत काशी से हुई बड़ी संख्या में दलितों और ओबीसी के समूह के साथ अल्पसंख्यक भी काशी विश्वनाथ मंदिर में किये दर्शन इसी के साथ संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य इंद्रेश कुमार ने शुरू किया अभियान उन्होंने कहा की छुआ-छूत और जात-पात का बंधन तोड़ने को लेकर हुआ दर्शन हिन्द सबको जोड़ता है , बाबा विश्वनाथ और माता अन्नपूर्णा सबको खिलाते हैं इस तरह के कार्यक्रमो से कन्वर्जन पर लगेगी रोक हिन्द , हिन्दू हिंदुस्तान में सबका समावेश है पहले भी बाबा विश्वनाथ सबके प्रति सद्भावना के प्रतीक थे, आज काशी के विद्वानों ने एक बार फिर से स्थापित किया है।

काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन को लेकर दलित महिलाये हो या फिर अल्पसंख्यक महिला सभी बेहद खुश नजर आयी उनका कहना है की पहले हमने कभी बाबा का दर्शन नहीं कर पाये पर आज गुरु जी के आशीर्वाद से ये हो पा रहा है हम बेहद उत्साहित है मुस्लिम महिलयो ने कहा की ईश्वर सभी के है इसलिए हम दर्शन करने के लिए आये है

रामपंत के गुरू डॉ राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि महात्मा गांधी के बाद ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब कोई इतनी भारी संख्या में पिछड़ों और दलितों को लेकर दर्शन करने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे हैं और इस बार तो और भी खास है क्योंकि अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाएं भी शामिल हैं।
